Friday, November 14, 2014

इंतज़ार


पथा नहीं कब तक उस रात का इंतज़ार करूं
जब तुम्हारी  हाथों कि मेहँदी को तारीफ करूं
लेठा हूँ सूनी सेज में तुम्हारी सुहानी सपनों में
यह सोचके की इसी सेज में तुम्हारा दीदार करूं
.
वह वक़्त कब आएगी जब मैं प्यार का इज़हार करूं
निगाहों में निगाहें डालके उल्फत का इकरार करूं
एक पल की जुदाई भी मुद्दत सी लगती है
उम्मीद है उसी मुद्दत  को तुम्हारी यादों से फरार करूं
❤D❤



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