गुंचे सारे आज थोड़ा मुरझाया सा क्यूँ।
कम्बख्त दिल आज थोड़ा घबराया सा क्यूँ।
वह मेरी ज़िन्दगी से बेखबर हो गयी है -तो
मुझको लग रहा है थोड़ा आज़माया सा क्यूँ।
फिलहाल में उसको भूल चुका हूँ पूरा - पर
एक तस्वीर से थोड़ा दिल धड़काया सा क्यूँ।
आजकल ज़िन्दगी को मुस्कुराते जी लेता हूँ -पर
उस मुस्कराहट में ग़म थोड़ा छुपाया सा क्यूँ।
समझा
उलझा जाता है।
सुलझा जाता है।
इंसान हो या फिर गुल, टूटने के बाद मुरझा जाता है।
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