सब ही को एक न एक दिन जाना है।
यह हक़ीक़त को मैंने हमेशा माना है।
फ़िर भी अक़्सर मौज मनाता हूँ बे-क़ाबू ,
वह उस हक़ीक़त को भूलने का बहाना है।
किसी फरिश्ते का इंतज़ार है , यारों
उसे ख़ुल्के हाल-ए- दिल बताना है।
मुझे ज़िन्दगी से इतनी मोहब्बत है - लगता है कि
अपनी ही कब्र के अंदर से सालगिरह मनाना है।
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