मक्खियों की कमी नहीं, जहाँ नाम-ओ-शोहरत है।
ग़ुरूर भी तलवे चाटेगी, जिसके पास दौलत है।
हालत पे और खुद पे ज़रूरर हस पड़ोगे, दिलीप,
आईने में बोलके देख, "मेरे पास सिर्फ़ मोहब्बत है"।
ख़्वाबों का सुकून तो अब बाजारों में बिकता है,
हर किसी के चेहरे पे यहाँ, नकाब-ए-हसरत है।
उधारी की रोटियाँ खाकर करते, दोस्ती की बातें,
वो लोग क्या जानें, इज्जत भी एक कीमत है।
सच बोलने का हुनर यहाँ कौन सिखाएगा,
झूठों की बस्ती में सच्चाई भी खामोश इबादत है।
अफ़सोस है, आज तुम्हारी बेबसी को हटा नहीं पाऊँगा,
कल फिर आओ, आज तिजोरी की इबादत है।
शक्ल देख कर यहाँ, रिश्ते खरीदे जाते हैं,
दिल की बात कौन सुनें, जब दरवाज़ों पे हिफाज़त है।
हाँ , दिल-ओ-जान देनेवाले शख़्स बहुत हैं यहाँ ,
दिलों की कमी नहीं, पर यहाँ कागज़ की जरूरत है।
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