मोहब्बत की दीदार किए हैं ढेर सारे फकीरें।
तुमसे मिलन लाज़मी है , यह बता रहे लकीरेँ ।
तुम पास हो, यह कहते हैं , सरसराती लहरें,
सुनाते तन्हाई की शहनाई, दिल की धड़कनें।
फिर भी खामोशियां चीखती हैं, बेमोल सी जुदाई,
किसे सुनाएं हम अपनी उदासी की चाहतें ।
चाँदनी रातें भी अब अश्कों में बह जाती हैं, सनम
न जाने क्यूँ दिल की राहों पर मिलते हैं सिर्फ कांटे।
तेरी यादों में खोकर ही हमने सुकून पाया है,
तुम्हारी तस्वीर में हम अक्सर देखते हैं जन्नतें।
No comments:
Post a Comment