Saturday, May 30, 2020

ज़ोर से बोलो

हमें इश्क में तजुर्बा नहीं, ठीक तौर से बोलिये
बेहरे हैं, प्यारी लफ़्ज़ों पर, ज़रा ज़ोर से बोलिये।

क़ैद हैं, आपकी निगाहों की रस्सी-ए-इश्क से,
ज़ोर से न खींचें, उस मतवाली डोर से बोलिये।

कुछ मन में टिकता नहीं, गुमराह-ए-प्यार हैं हम
इसलिए उल्फत का इज़हार ग़ौर से बोलिये।

आपका दिल को लूटने की कोई ज़रुरत न पड़ें- बस,
आपके ख्यालों को दान दे दी, इस चोर से बोलिये।

मोरनी आपको हमपर अजीब सी कशिश हो चुकी है
रंगीन पंखों की और ज़रुरत नहीं, इस मोर को बोलिये ।




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