Thursday, September 17, 2015

क्या जाने

ग़म-ए-सीने को दिल तोड़ने वाले क्या जाने
मोहब्बत के रस्मों को ज़मानेवाले क्या जाने।

हमसफ़र का सुकून क्या होता है- यह
अगले ही गली में मोड़ने वाले क्या जाने।

कितनी तकलीफ होती है ताबूत के अंदर
यह उपर से फूल छडाने वाले क्या जाने।

कितनी तन्हाई लगती है समुन्दर के नीचे- यह
साहिल से मोती को मांगने वाले क्या जाने।

❤D

Seenae kay gham kO dil thodnEwaalaE kyaa jaanE
mohabbat kii rasmoan kO zamaanewaalae kyaa jaanE
humsafar kaa sukoon kyaa hothaa hai - yeh
aglae hii gali mein modnaewaale kyaa jaanE
kitnii taqleef hothi hai thaabooth ke andhar
yeh oopar sE phool ChaDHAnEwaalaE kyaa jaanE
kitnii tanhaayi lagthi hai samundar ke neeche- yeh
saahil sE moti kO maangnewaalE kyaa jaanE

No comments:

இது தமிழ் மண்ணில் எந்நாளும் மலரும் ஒரு நினைவு.

 இது தமிழ் மண்ணில் எந்நாளும் மலரும்  ஒரு நினைவு.  சுமார் எண்ணுறு ஆண்டுகளுக்கு முன், கொல்லிடம் ஆற்றங்கரையில் வாழ்ந்தோர் அங்கிருந்த பெருமாளின்...