मोहब्बत बोलता है कि मैं तेरा हाथ थाम लूँ
हक़ीक़त बोलता है कि मेरा हाथ में जाम लूँ
शराब में जितना भी ग़र्क़ क्यूँ न हो जाऊं
दिल चाहता है कि बार बार तेरा ही नाम लूँ
मेरी वज़ह से तुम्हें तक़लीफ़ कम ही होगी
बस यूँ ही तुमसे मेरा जीने का काम लूँ
तेरी आँखों की मस्ती ने नग़में बहुत दी हें
उन्हीं नग़मों से महफ़िल में सलाम लूँ
हक़ीक़त बोलता है कि मेरा हाथ में जाम लूँ
शराब में जितना भी ग़र्क़ क्यूँ न हो जाऊं
दिल चाहता है कि बार बार तेरा ही नाम लूँ
मेरी वज़ह से तुम्हें तक़लीफ़ कम ही होगी
बस यूँ ही तुमसे मेरा जीने का काम लूँ
तेरी आँखों की मस्ती ने नग़में बहुत दी हें
उन्हीं नग़मों से महफ़िल में सलाम लूँ
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