Sunday, April 26, 2020

फूँक गया है

ख़ुमार का सागर तेरी पलकों पे रुक गया है। 
पर उससे निकला तूफ़ान हमें फूँक गया है।

तेरी लूटा हुआ दिल मेरे क़ब्ज़े में है - पर 
तेरी आँखें कह रही है कि कुछ चूक गया है। 

मिलान-ए-शाम पर सूरज डूबने की जल्द में है   
ऐसा लगा, वह भी शर्म के मारे झुक गया है।

मौक़ा दो, दिल पर आग-ए -इश्क़ जलाने का 
प्यार का चिराग़ तनहा जलकर थक गया है। 

अक़्सर लगा, कभी न आएंगे बहार-ए-इश्क़ 
तेरा सिर्फ इन हवाओं पर वह शक़ गया है।    

 


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