ख़ुमार का सागर तेरी पलकों पे रुक गया है।
पर उससे निकला तूफ़ान हमें फूँक गया है।
तेरी लूटा हुआ दिल मेरे क़ब्ज़े में है - पर
तेरी आँखें कह रही है कि कुछ चूक गया है।
मिलान-ए-शाम पर सूरज डूबने की जल्द में है
ऐसा लगा, वह भी शर्म के मारे झुक गया है।
मौक़ा दो, दिल पर आग-ए -इश्क़ जलाने का
प्यार का चिराग़ तनहा जलकर थक गया है।
अक़्सर लगा, कभी न आएंगे बहार-ए-इश्क़
तेरा सिर्फ इन हवाओं पर वह शक़ गया है।
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