Friday, April 12, 2019

महफ़िल में सलाम लूँ

मोहब्बत बोलता है कि मैं तेरा हाथ थाम लूँ
हक़ीक़त बोलता है कि मेरा हाथ में जाम लूँ

शराब में जितना भी ग़र्क़ क्यूँ  न हो जाऊं 
दिल चाहता है कि बार बार तेरा ही नाम लूँ

मेरी वज़ह से तुम्हें तक़लीफ़ कम ही होगी
बस यूँ ही तुमसे मेरा जीने का काम लूँ

तेरी आँखों की मस्ती ने नग़में बहुत दी हें
उन्हीं नग़मों से महफ़िल में सलाम लूँ

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