Friday, October 18, 2024

माँ-बाप से सोते हैं

 कभी आँसू छलकते हैं, कभी अरमान रोते हैं,

वही बच्चे बड़े होकर, क्यों माँ-बाप से सोते हैं?


कष्टों का पर्व है वो, जब माँ के गर्भ में होते हैं,

सहे जो माँ ने दुःख सब, कहाँ बच्चे वो ढोते हैं?


शगुरु की शिक्षा पाई, पर याद नहीं वो पल,

माँ ने जो दी दुआएं, वो दिल से नहीं खोते हैं।


माँ को ना तर्पण दिया, ना मृत्यु पर जल डाला,

अब दिल में पश्चाताप है, क्यों दूर हम होते हैं?


माँ ने कहा था बेटा, तू मोती मेरी आँखों का,

मैंने दिया बस सूखा अनाज, हाय दिल क्यों रोते हैं?

No comments:

மாயை

 பொலிந்த உலகின் பொய்மை கண்டே பொங்கி வெடித்தது உள்ளம் — ஹா! நம்பி நெஞ்சில் நஞ்சே வார்த்தாய், நகைத்த முகத்தில் மாயை தானே! சரளம் சொற்களால் செரு...