हे मूर्ति, तू क्या है? कलाकार की आत्मा की अभिव्यक्ति
पत्थर से निकली तू, कवि के मन की अभिव्यक्ति।
मंदिर तेरे लिए बना, भगवान ने मुझे बनाया
दोनों में है प्यार, यही है भक्ति की अभिव्यक्ति।
मज़दूर की मेहनत से तू आकार पाती
उनके पसीने में है श्रम की अभिव्यक्ति।
पहाड़ से तू आई, पत्थर से तराशी गई
प्रकृति और मानव के मिलन की अभिव्यक्ति।
'गामड़िया' कहता है, मूर्ति में है जीवन का सार
हर छेनी का निशान है भावना की अभिव्यक्ति।
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